Wednesday, 1 May 2019

हिंदी लेख (भिलार - पहला पुस्तक गाँव )

भिलार -  पहला पुस्तक गाँव

मानव मन की भावना एक दूसरे को समझाने का एकमात्र अच्छा उपाय है किताब। पुस्तकें  हमारे अच्छे मित्र होते हैं। जिनके कारण हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। ज्ञान बढ़ाकर विकास कर सकते हैं।जीवन को अच्छा मोड़ देने का काम पुस्तकें करते हैं।कीसी भी विषय की जानकारी हमें पुस्तकों के जरिए आसानी से मिलती है। वेल्स शहर के हे- ऑन -  वे से प्रेरीत होकर महाराष्ट्र के सतारा जिले के भिलार गाँव को देश का " पहला पुस्तक गाँव " घोषित किया गया।शासन की तरफ से इसी गाँव के लोगों के साथ चर्चा विमर्श के बाद 45 लोगों ने अपने मकान में जगह देने की सहमति दर्शायी। जिनमेंसे 25 घरों को चुना गया।4 मई  2017 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिक्षा मंत्री माननीय विनोद तावडेजी के नेतृत्व में मराठी भाषा विभाग के सहयोग से भिलार गाँव को " पुस्तक गाँव " घोषित कीया गया।गाँव में 15000 तक पुस्तकें है जिनमें साहित्य, कथा ,कविता ,धार्मिक ,महिला, बाल -साहित्य, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथा ऐसे अनेक साहित्य की विधाएं अलग-अलग जगह पर स्थापित किया गया है। महाबलेश्वर के पास पंचगणीसे 3 कीमी.की दूरी पर है । जिन 25 घरों में यह पुस्तकें में रखी है वहाँ के मकान मालिकों ने अपने घर में पाठकों के लिए बैठकर पढने के लिए जगह दि है। जिस पाठक को जो पुस्तक चाहिए वह वहाँ स्थित घर में जाकर पुस्तके पढ़ते हैं।समाचार पत्रिकाओंका अलग विभाग है।भाषा प्रेमी साहित्य प्रेमी उनके लिए यह जगह बहुत अच्छी है।मैं भी मेरी कुछ सहेलियोंके साथ वहाँपर गई थी।पहले हम कार्यालय में गए। वहाँपर भिलार प्रकल्पपर बनाई गई डॉक्युमेंटरी फील्म दिखाई।हमने हमारी लिखी हुई कीताबें उपहारस्वरुप प्रदान कीया। जिसके लिए हमें शुक्रीया का खत मिला। ये हमें अच्छा लगा।यादगारस्वरुप भिलार की याद में भिलार का नाम छपा हुआ कीचेन होल्डर , मग ले लिया। पासही खाने का रुचीपूर्ण भोजन प्राप्त हुआ।भोजन उपरांत हमने एक एक विभाग देखना शुरु कीया।हरविभागके बाहर उसके संबंधित आकर्षक चित्रोंसे सजाया गया है।सब अच्छीतरहसे देखने के बाद हम मन में सुंदर यादें लेकर वापस निकले।

श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर.
9881962530

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