माँ
माँ एक ऐसा शब्द
जो एहसास दिलाता सबको
की वे है अमीर दुनियाभरमें...
क्योंकी साया माँ का है उनपर
जैन्नत है उसके पैरोंमें...
माँ कीसी धर्म ,पंथ की नहीं
वो तो पूरे विश्व की माँ है।
माँ के बिना अधुरा इन्सान
माँ के साथ है सारा जहान..
करते हैं हम दुनिया मुठ्ठीमें
गर करते हम माँ का सम्मान।
मुश्कीलें आसान हो जाएगी,
दुवाँ माँ की काम आएगी।
हर हाल में खुश रहती है,
बच्चों पे दामन प्यार का रखती है।
मायका हो या हो ससुराल,
इज्जत दोनोंकी रखती, हो कैसा भी हाल।
फर्ज उसका अदा करती है,
खुद जिल्लते सहती है।
प्रेरणादायी सबके लिए होती है,
जीवन जीने की आशा जगाती है।
रहे सलामत माँ का साया,
सारी कायनात में है समाया।
समझे ना भगवान की माया,
प्यार का अमृत हमने पाया।
करो सम्मान माँ का हमेशा,
बढाओ उसके जीवन की आशा।
सलामत रहो माँ के आँगन में
नहीं तो बीक जाओगे इस दुनियादारी के बाजारमें।
कवयित्री
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
9881862530
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