प्रतियोगिता के लिए
विषय --भूली हुई यादें
वो बचपन के दिन ,
वो बचपन की बातें |
सारी भूली हुई यादें ,
आती याद सोते जागते |
नन्हा सा मेरा जहॉं ,
सुखोंसे भरा हुआ |
नामोनिशान नहीं था ,
दुखोंका, सब दुआ ही दुआ |
मैं थी सपनोंकी रानी ,
मॉ बाप की अॉखेंका तारा |
बहती रहती हमेशा ,
ऊनकी प्रेम की अमृत धारा
याद आता है बचपन मुझे ,
मन उल्हसित करता है |
भूली बिसरी बातोंका ,
जब कारवॉ बन जाता है |
रचनाकार
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड , ता. शिरोळ ,
जि. कोल्हापूर
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