माँ भगवान की सुंदर निर्मिती
" माँ शक्तीका प्रतिक होती है ,
भगवान की सुंदर निर्मिती होती है,
जिसके बिना विश्व की निर्माण अशक्य है । "
ऐसी माँ को लाख लाख वंदन । माँ से कृतज्ञ रहना ही चाहिए । आज मातृदिन माँ के चरणोंपर नतमस्तक होने का दिन है । मई महीने का दुसरा रविवार
" मातृदिन " के तौरपर मनाया जाता है । 1912 में एना जार्विस ने " मदर डे ईंटरननँशनल असोसिएशन की स्थापना की । ईसके बाद अनेक देशों में ईस दिन अपनी माँ को तोहफा देकर ऊसका सम्मान कीया जाने लगा ।
भारत के ईतिहासमें अगर हम देखते है ,की भारत में पहले मातृसत्ताक पद्धती थी । स्त्री की पूजा की जाती थी । आ याने आत्मा और ई याने ईश्वर । आत्मा और ईश्वर का मिलन याने माँ । ईसलिए माँ की सेवा करना मतलब ईश्वर की सेवा करना है ।
" माँ प्यार का दुसरा नाम , जिसमें होता है हमेशा क्षमाभाव "
परमपूज्य साने गुरुजीने मराठी भाषाका महन्मंगल स्त्रोत
" शामची आई " कीताब लिखकर अपने माँ को पूरे विश्व में अजरामर कीया है ।जिसतरह खाने में अगर नमक ना हो तो वह खाना अच्छा नहीं लगता ऊसितरह जीवश में माँ नही होती है तो जीवन निरस हो जाता है । कवी यशवंत कहते है , " तिनही लोकोंका स्वामी माँ के बिना भिकारी है " । कीतना सही है , माँ के बिना सारा ऐशोआराम , संपत्ती शून्यकेसमान है । अफनी माँ को कभीभी मत दुखाना । माँ संतान के कणकणमें समाई रहती है ।ईसलिए तो अपने संतानोंकी हर अपराध में , भूल में वह ऊसे क्षमा करती है ।
हिरा ग्वालण अपने बच्चे को दुध पिलाने के लिए रात के अंधेरे में गीरते,बचते कीला उतरकर नीचे आई ।शिवाजी महाराज को जब यह समझा तो उन्होंने ऊसका सम्मान कीया । शालिवाहन राजामहान बना , बडा राजविस्तार कीया , यह सब अपनी माँ के कारण ही ।शिवाजी राजा नीतिमान , न्यायी आदर्श राजा बना जिसकी नींव उनकी माँ जिजाऊ ने डाली थी ।
तलवार को चमकानेवाली झाँसी की राणी अपने पीठपर बेटे को बाँधकर अँग्रेजोंसे बहादूरीसे लडकर एक मिसाल कायम की । अहिल्याबाई होळकर एक लोकोत्तर स्त्री बन गई । माता सावित्रीबाई यशवंत की माता बनकर उसे डॉ. बनाया,और आखिल स्त्री-जातीका उद्धार कीया । माता शकुंतला के उत्तम संस्कारोंसे ही राजा भरत चक्रवर्ती बना ।सम्राट कशोक की माँ शुभद्रांगी ने अपमान का शल्य मन में रखकर अपने बेटे के यन में सम्राट पद का ख्वाब जगाया और कठीण परीश्रम उससे करवाया और उसे सम्राट बनाया ही । विश्वमाता मदर तेरेसा पूरे विश्व में प्रेरणादायी बन गई।
साने गुरुजी कहते है , " माँ मेरी गुरु , माँ कल्पतरु , सौख्यका सागर है मेरी माँ " कीतना सही है यह । माँ के चरणोंमें जन्नत होती है , ईसलिए हमें हमेशा माँ के चरणोंमें झुकना चाहीए ।
इज की माँ अर्थार्जन के लिए बाहर निकली है , फीर भी वह पहले वह अपने बच्चों के बारे में ही सोचती है ।ऐसी स्फूर्तीदेवता होती है माँ ।
" मंदिर में जैसे भगवान की मूर्ती
वैसे माँ घर की होती है स्फूर्ती ।"
ईसलिए माँ का बडे आदर के साथ समानपूर्वक वंदन करते है और मातृदिन मनाएंगे ।
भूल में भी माफ करती है ,
गुस्से में भी प्यार देती है ।
अधरपर रहता है आशिर्वाद,
वह सिर्फ माँ ही होती है ।
लेखिका
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड , ता. शिरोळ ,
जिल्हा. कोल्हापूर.
9881862530
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