रक्षाबंधन एक पवित्र त्यौहार
भारतीय संस्कृती पूरी दुनियाभर में अलग है ।क्योंकी यहाँ अनेक धर्मोंके लोग मिलजुलकर रहते है , जो बाकी देशोंमें दिखाई नहीं देता। हर धर्म के लोग अपना अपना त्यौहार बडे धुमधामसे मनाते है । इसमें अनेकविध त्यौहारों की भरमार है । विविधता में एकता यह भारत की विशेषता है ।
रक्षाबंधन का त्यौहार का एक अलग ही महत्त्व है। ये भाई बहन के पवित्र रिश्ते से बंधा है। भाई-बहन का त्यौहार भी कहा जाता है। इसमें प्यार ,स्नेह, संवेदना भरी हुई है । ये हिंदू और जैन धर्म में बडे ऊल्हास के साथ मनाया जाता है। इसदिन बहन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके नये कपडे पहनती है और राखी की थाली सजाकर भाई को तिलक लगाकर आरती उतारती है और अपने भाई के दाहिने कलाई पर राखी या रक्षासूत्र बाँधकर उसे मिठाई खिलाती है, और भाई को उसकी रक्षा करने को कहकर भाई के लंबे आयु के लिए और उसके स्वास्थ के लिए कामना करती है। भाई बहन के लिए उपहार लाता है और बहन को खुश करता है। भाईयों का भी फर्ज बनता है की वे अपनी बहना को कभी दुख न देंगे और न दुख को आने देंगे ।इसदिन भाई या बहन अगर दूर होते हैं फिर भी बहन या भाई एकदुसरे के यहाँ जाते ही हैं और रक्षाबंधन मनाते है।
रक्षाबंधन मनाने के पीछे अनेक कारण है। उसमें पौराणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक कारण भी है। पौराणिक कारण का कोई प्रमाण नहीं है,लेकीन कहा जाता है की माता लक्ष्मी ने राजा बली को रक्षासूत्र बाँधकर उससे अपने पती, भगवान श्री.विष्णू को वापस माँग लिया था। तभी से रक्षाबंधन का त्यौहार का प्रचलन माना जाता है।
धार्मिक कारण में यह बताया जाता है महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण के ऊँगली में जब चोट आती है तब द्रौपदी ने अपनी साडी फाडकर श्रीकृष्ण की ऊँगली को बाँधा था,ये घटना श्रिवण महीने के पूर्णिमा के दिन हो गयी थी। जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की साडी बढाकर भाई का कर्तव्य पूरा कीया था। तबसे इसप्रकार रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने की परम्परा शुरु हुई
रक्षाबंधन मनाने के पीछे ऐतिहासिक महत्त्व भी है। इतिहासकार कहते हैं की जब बहादुरशहा ने जब मेवाडपर हमला कर दिया था तब रानी कर्मावती ने अपनी और राज्य की रक्षा करने के लिए मुगल बादशहा हुमायु को रक्षासूत्र भेजकर एक भाई के नाते बहन की रक्षा करने बिनती की । हुमायु ने भी रक्षासूत्र का मान रखते हुए अपनी विशाल सेना भेजकर रानी कर्मावती और उसके राज्य की रक्षा की थी। आगे चलकर भाई-बहन के प्यार के प्रतिक को रक्षाबंधन के त्यौहार के रुप में मनाया जाने लगा। जब सिकंदर विश्वविजय की कामना लेकर निकला था,तब वह भारत की सीमापर उसे पहली बार राजा पुरु ने उसे रोका था। सिकंदर की पत्नी ने अपने पति की रक्षा के लिए राजा पुरु को रक्षासूत्र भेजा।राजा पुरु ने बहन का कहना माना और राखी की लाज रख ली।
साहित्य क्षेत्र में , फील्मों के क्षेत्र में रक्षाबंधन कहानी का विषय बन गया है।राखी के नये पुराने गीत आज भी श्रवणीय हो गये है। सरकारने भी रक्षाबंधन के अवसर पर डाक विभाग में पाँच रु. के लिफाफे में पचास ग्रँम वजन तक की राखी मुफ्त भेजने का प्रबंध कीया है , ताकी बहने अपने भाईयोंको जादा से जादा राखी भेज सकें।बरसात में कागज खराब न हो ईसके लिये भी खास लिफाफा तैयार कीया है।डाकघरोंपर ईसदिन जादा बोझ आता है फिर भी वे ईस काम कों खुशी से करते हैं।आज का युग संगणक युग है।ईस आधुनिक युग में दूर रहनेवाले भाई को बहन ऑनलाइन राखी खरीदकर भेजती है। रक्षाबंधन का त्यौहार राष्ट्रीय एकात्मता को बढाता है और मानवता को महत्व देता है।
भाई-बहन के प्रार का ये प्रतिक रक्षाबंधन का त्यौहार समाज में आपसी भाईचारा बढाने का काम करता है। मन कघ कटुता को दुर करने हेतू भी यह काम आता है।जमाना बदल गया लेकीन भाई-बहन का प्यार और रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं बदला।सदियोंसे चला आ यहा ये त्यौहार कभी खत्म ही नहीं होगा, न होना चाहीए।
आज हम देखते है , स्त्री-भ्रूण हत्या , नारी के साथ अत्याचार, जबरदस्ती दहेज की लालच में आकर बहुओंको जलाना,मारना,उनका अपमान करना,उन्हें प्रताडीत करना यह सब हो रहा है। यह देखकर मन दुखी हो उठता है। मुझे कहना है की हर भाई को अपने बहन के साथ साथ बाकी सब लडकीयों को भी बहन मानने का संस्कार अगर हम उन्हें देने में कामयाब होते हैं तो दुनिया की कोई भी बहन कभी भी दुखी नहीं होंगी।रक्षाबंधन का ये त्यौहार आज की ईस दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।सामाजिक एकता बनाए रखने का काम करता है।
राखी के बंधन में ,
भाई को बाँधा बहन ने ।
वचन रक्षा का दिलसे ,
दिया बडे प्यार से भाईने ।
लेखिका
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिला.कोल्हापूर.
9881862530
No comments:
Post a Comment