जिंदगी
रुठ जाओ तुम बेशक
मनाने के लिए है हम ।
उम्र की मत सोचो
मन की अपनी मानो ।
भरोसा रखो जिंदगीपर
नजदिकीयाँ तो बनती रहेगी ।
हमारा एहसास ही काफी है
बस याद करते रहना ।
ऐ जिंदगी तो आनी जानी है
लुफ्त उसका ऊठाते रहना ।
रचना
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
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