Saturday, 27 April 2019

हिंदी लेख ( 1 मई महाराष्ट्र दिन और कामगार दिन )

          महाराष्ट्र दिन और कामगार दिन

कीसी एक घटना का महत्त्व जाणने के लिए लोग उसदिनके नाम से आनंदी होकर वह दिन मनाते है। ताकी बाकी लोगोंको भी पता चले की कभी ऐसा भी हुआ था। भारत में ही नहीं तो पूरे विश्व में भी ऐसे अनेक दिन मनाते है।उसमें से एक महत्वपूर्ण दिन है..महाराष्ट्र दिन और कामगार दिन..

महाराष्ट्र के इतिहास में 1 मई यह दिन बहुत मायने रखता है।स्वतंत्र महाराष्ट्र की माँग वो भी मुंबई के साथ...

1 मई 1960  को महाराष्ट्र राज्य की स्थापना हुई इसलिए महाराष्ट्र दिन के तौर पर बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र राज्य निर्मिती के लिए 106  लोगों ने बलिदान दिया था।  उनका स्मरण कि इस दिन को किया जाता है। 21 नवंबर 1956  को राज्य पुनर्रचना आयोग द्वारा मुंबई महाराष्ट्र को देने को नकारा था। इसलिए मराठी जनता पक्षों में हुई थी। इसके खिलाफ आवाज उठाया मोर्चा निकाला गया। उन्हे भगाने के लिए लाठीचार्ज किया गया। इसमें 106   आंदोलकोंको ने  जानू की आहुति दे दी और क्या को रोकने के लिए उन पर गोलियां बरसा दी गई। संयुक्त महाराष्ट्र के संग्राम में यह लोग हुतात्मा हो गए। यह सब देख कर सरकार ने पीछे हटकर मुंबई के साथ ही संयुक्त महाराष्ट्र की घोषणा 1 मई 1960  को की। भूत आत्माओं का स्मारक बनाया गया। हर साल इसी दिन महाराष्ट्र दिन मनाया जाता है इस दिन स्कूलों, सरकारी दफ्तरों को छुट्टी  दी जाती है। भाषावाद प्रांत के गठन के कारण महाराष्ट्र और गुजरात में विवाद होने लगे। दोनों ने भी भरसक प्रयास किया। आंदोलन छीड गया  और परिणाम स्वरूप  मुंबई के साथ महाराष्ट्र स्थापित हुआ। इसके लिए माननीय एस. एम. जोशी ,आचार्य अत्रे, सेनापति बापट,  माननीय यशवंतराव चौहान और उनके साथियों ने प्रयास किया था।

1 मई  की और एक विशेषता है, और वह यह है कि यह कामगार दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में 8 घंटे काम करने के लिए वहां के मजदूरों ने पहली मांग की थी।  कामगार लोगों को 12 से 14  घंटे का काम करना पड़ता था। इसके अलावा उन्हें कुछ भी सहुलते नहीं थी। आंदोलन के बाद  उन्हें उनका हक मिल गया।उस दिनसे यह कामगार दिनके तौर पर मनाया जाता है। इसके बाद अमेरिका, कनाडा के मजदूरों ने भी अपनी मांग के लिए आवाज उठाया।  आंदोलन और मोर्चा को रोकने के लिए छह आंदोलनकर्ता मारे गए। उसके निषेध में पुलिस पर भी बम फेंका गया। जिसमें 50  पुलिस जख्मी हो गई। आंदोलन के समानार्थ 1 मई 1890  कामगार दिन के तौर पर मनाया जाने लगा। भारत में 1 मई 1923 में  मद्रास शहर में सबसे पहले कामगार दिन मनाया गया। पूरे विश्व के करीब 80  देशों में यह कामगार दिन मनाया जाता है। इस दिन अच्छा कार्य करने वाले मजदूरों का  गौरव किया जाता है।

लेखिका
श्रीमती माणिक नागावे.
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
9881862530

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