माँ
माँ मेरी जिंदगी सदासे ही,
माँ मेरी बंदगी सदासे ही ।
कोखसे जन्मी हूँ,तेरा अंग हूँ,
रगरग में बस तेरा ही खून है ।
दिखाई दुनिया मुझे तुने ,
शुक्रगुजार हूँ ,न लगाया तुने मेरे शरीर को नाखून रे।
तेरे ही करम से देखी दुनिया,
आँचल में तेरी पली बढ़ी हूँ।
तुझपरही थी मैं निर्भर हे माँ,
सहारा दिया तुने हमेशासे ही।
संस्कारोंसे सिंचाया मुझे हे माँ,
पढालिखाकर काबिल बनाया।
आज तेरी ही छत्रछाया में,
जीवन मेरा दुश्वार हो गया है।
तेरी ही परछाया हूँ मैं हे माँ,
याद हमेशा आती है ।
बिन तेरे एकपल भी गँवारा नहीं,
सदासेही यादों में संजोया है।
अनंत उपकार तेरे मुझपर,
उऋण ना कभी हो पाऊँ मैं।
प्रेरणादायी जीवनदायीनी तू,
देखकर तुझको आगे चलूँ मैं।
सारी समस्यांएँ सामने गर आई,
याद ही तेरी सिर्फ काफी है पार जाने।
खुश रहो सदासेही जिंदगी में,
रखेंगे हम हमेशा ये वादा है।
चेहरा सदा दमकता रहे तुम्हारा,
मेरे दिल की ये आरजूँ हो पूरी हमेशा।
कवयित्री
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
9881862530
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