poems & articles
Thursday, 7 May 2020
चारोळी ( प्रतिबिंब )
प्रतिबिंब
पाहिले प्रतिबिंब जलदर्पणात
कुंतलभारही स्पर्शितो अलवार
साक्षीदार निसर्ग सभोवतालचा
भाव लोचनातील बोले हळुवार
रचना
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड
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