Sunday, 16 December 2018

हिंदी लेख ( शाहू महाराज का शैक्षणिक कार्य )

छत्रपती शाहू महाराज का शैक्षणिक कार्य

जिसतरह कमल का फूल कीचड को सुगंधित करता है। सागर कीमती मोती सीप के माध्यम से देता है।ऊसीतरह शाहू महाराज भी महात्मा फुले,डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के विचार अपने आचरण में लाया। कोल्हापूर का नाम महाराष्ट्र के साथ साथ देशमें भी कीया। महाराज महान क्रांतीकारक गरीबोंके मसिहा, तथा शोषितोंके मित्र तो शोषकोंके लिए काल थे। आप एक महान शिक्षणप्रसारक थे। कोल्हापूर के शैक्षिक प्रगती में ऊनका बहुत बडा सहभाग है।

शाहू महाराज सामान्य व्यक्ती नहीं थे, तो राजाओंके राजा थे। अत्यंत सिधे सरल मनके , स्वभावके महाराज का जन्म छब्बीस जून अठारह सौ चौरहत्तर को कोल्हापूर में हुआ। ऊनका मूल नाम यशवंतराव था। दत्तकविधान के बाद वे शाहू बन गये।

जब उन्होंने राज्यकारोभार जिम्मेवारी अपने ऊपर ली तब उन्होने सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक कार्य में पूरा ध्यान लगाया। अगर अपने समाज को आगे लाना है तो उन्हे शिक्षा देना जरुरी है, यह उन्होंने जान लिया  और शिक्षा सबको मिलनी चाहिए यह जानकर शिक्षा का प्रसार कीया। सदियोंसे अज्ञान के अंधेरे में गोते खानेवाले दलित समाज को शिक्षा का सही रास्ता दिखाया। जातीपाती के बाहर आकर बहुजनसमाज को शैक्षिक सहुलीयत देकर प्रेरित कीया। प्राथमिक शिक्षा सख्तीका और मोफत कीया। वसतिगृह भी निर्माण कीया। स्त्री- शिक्षापरभी ऊनका विशेष ध्यान था।लडकीयोंको फीस में सहुलीयत दे दी गयी थी। अपनी विधवा स्नुषा को भी जननिंदा सहकर पढाया। महाराज के प्रयास से कोल्हापूर " दक्षिण काशी " के साथ साथ " शिक्षण काशी" के नाम से भी जानी जाने लगी। समाजपरिवर्तन के लिए शिक्षा का उपयोग कीया।  उन्होंने सैनिकी स्कूल, टेक्नीकल स्कूल शुरु कीया था। शिक्षा प्रगतीके रथ का पहिया है,समतताकी चाबी है,ऊद्योग की जननी है तो उत्कर्ष की गुरुचाबी है ऐसा वे मानते थे। शिक्षाके सहारेही उन्होंने ब्राम्हणेतर समाज को ब्राह्मण समाज के साथ लाकर बिठा दिया।

ऐसा शैक्षणिक महान कार्य करनेवाले राजर्षी छत्रपती शाहू महाराज स्वातंत्र्य- समता- बंधुता के प्रचारक सबके लिए प्रेरणादायी हैं और हमेशा रहेंगे।

लेख
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर.
9881862530

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