Tuesday, 5 February 2019

हिंदी लेख ( विश्व कैंसर दिवस )

विश्व कैंसर दिवस

पूरी दुनिया में जिस बिमारी ने  खतरनाक हालात पैदा कीये हैं,एक दहशत का माहौल फैलाया है,वह है - " कैंसर "- यह जानलेवा तो है ही ,साथसाथ इन्सान की जीने की पूरी उम्मीद घटाता है और निर्धन भी बनाता है। आज कैंसर की चपेट में पूरा विश्व आया हुआ है।

4 फरवरी को विश्व में "विश्व कर्करोग दिवस " के तौरपर मनाया जाता है। कर्करोग शब्द " कार्सिनोमा " इस लॅटिन शब्दसे आया है। केंद्रीय अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण और दुसरे समुहों के साथ और कैंसर मरिजों के सहायता के साथ 1933 में इस दिन की शुरुआत हुई। इस संस्था का यह मकसद था कि इस घातक, खतरनाक बिमारी को नियंत्रित करना और लोगोंमें इस बिमारी के बारे में जानकारी फैलाना और उनमें जागरुकता पैदा करना। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हमें कीसतरह का खान-पान करना है,कैसे रहन-सहन रखना है, इसतरह के सही तौरतरिकें बताना है। कैंसर का बढता ,जानलेवा फैलाव रोकने के लिए सरकारी स्वास्थ्य संगठन के साथसाथ गैर सरकारी संगठनोंके द्वारा कैंप का आयोजन करके यह किया जा सकता है, और हो भी रहा है।

कर्करोग कोशिकाओंद्वारा हो जाता है। इन कोशिकाओंका एक गुट होता है।इनका विभाजन और अनियंत्रित विकास के कारण होता है। इस अनावश्यक कोशिकाओंकी शरीर को जरुरत नहीं होती तब उनकी गाँठ बन जाती है। इस गाँठ के भी दो प्रकार होते हैं। एक बिनाईन और दुसरा मँलिग्नट। जिसमें मँलिग्नट की गाँठ कैंसर की होती है। जो बढती रहती है और आसपास के अवयवोंपरभी असर करती है। कभी-कभी यह खून की नसोंमें मिलकर बहकर दुसरे जगहोंपर जाती है,और इसतरह शरीर के अलग अलग हिस्सोंमें कैंसर फैलता है। और जब यह खून में फैलता है तब खून का कैंसर या उसे ल्यूकेमिया कहते हैं। जब शरीर में कहीं गाँठ होती है तो उसका छोटासा हिस्सा काटकर उसे परीक्षण के लिए भेजा जाता है। जिसे बायोप्सी कहते हैं।

प्राथमिक अवस्था में जब कैंसर का पता चलता है तो इसका ईलाज हो सकता है। लेकिन अंधश्रद्धा हो या डर के मारे,लाज के मारे लोग इसे अनदेखा करते हैं। जब यह तिसरे या चौथे स्तरपर पहुँचता है तब अस्पताल पहुँचते हैं। तबतक बहुत देर हो जाती है,और मरीज को अपनी जान गवाँनी पडती है।इसलिए शरीरपर अगर कोई गाँठ दिखाई दी तो हमें तुरंत उसकी जाँच करवा लेनी है।

कैंसर मोटापन,तंबाखू का,मद्य का सेवन, वजन में अचानक घटाव या बढाव, तणाव,कसरत का अभाव, खाने के गलत तरिके, रसायनमिश्रीत पानी, प्रदुषित खाद्यपदार्थ आदि कारणोंसे हो जाता है। इन मरीजोंमें जीवनसत्व का अभाव या कमतरता होने के कारण जिवाणूओंका संसर्ग जल्दी से होता है। शरीर में कैंसर जहाँ होता है,उसी के नाम से यह जाना जाता है।महिलाओमेंभी यह गर्भदानी,सर्वाईकल और वक्ष में ज्यादातर हो जाता है।पुरूषोंमें प्रोस्टेट ग्रंथी,मौखिक ग्रंथियोंमें,पेटमें होता है।अ्न्ननलिका में भी कैंसर सभी को होता है। लेकिन आजकल कीसी भी उम्र के व्यक्ती को यह हो रहा है।

इसलिए हमें आरोग्यपूर्ण वातावरण में रहना है। साफ पानी , ताजा खाना ,घर में बनाया शुद्ध खाना खाना चाहीए। बाहर के बंदिस्त डिब्बों के खाने से परहेज रखना है। हररोज अच्छी तरह से साफ पानी से धोए हुए फल , सब्जियाँ खाना चाहीए। खासतौरपर कोई भी नशा नहीं करनी चाहीए। हमारी जिंदगी हमारे हाथ में है। कैसे जीना है, हम खुद तय कर सकते हैं। खुशहाल जिंदगी जिओ और दुसरोंकोंभी जीने दो।

कर्क की तरह कुतरता है,
पिडा देता है यह कर्करोग।
जानो जीवनकी एहमीयत,
स्विकारो अच्छी आदतें,भोग।

लेखिका
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
9881862530

No comments:

Post a Comment