Tuesday, 19 February 2019

हिंदी लेख ( शिवाजी महाराज )

शिवाजी महाराज- धर्मनिरपेक्ष महान सेनानी

अपनी राजनीती , पराक्रम के कारण पूरे विश्व में वंदनीय राजा छत्रपती शिवाजी महाराज का जन्मदिवस 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्गपर हुआ। बचपनसेही शिवाजी महाराज को उनकी माता माँ जिजाऊ ने बडे संस्कारोंमें पाला। रामायण, महाभारत और नीतीकथाएँ सुनाई और अनेक नितीपरक बातें भी बताई।साथ ही साथ दादोजी कोंडदेव की सहायतासे युद्धनीती , तलवार चलाना,भाला फेंकना, तीर चलाना, घुडस्वारी करना,इ. करतब भी अच्छी तरहसे सिखाया। एक सच्चा वीर बनाया। शिवाजी महाराज के सामने उनके माता-पिता का आदर्श था।बचपन में जब उन्होंने देखा की  शासकवर्ग सामान्य जनतापर हुकुमत जताते हैं और उनपर जुल्म करते हैं। यह देखकर उनका मन दुखी होता,छटपटाता था। यह सब देखकर उनका बालमन स्वाधीनता के लिए रो उठता और उनका मन इसतरह स्वाधीनता के लिए बचपनसेही तैयार हो गया था। उन्होंने अपने साथीयोंको इकठ्ठा किया और अपनी एक फौज तैयार की, संगठन बनाया , जिसे " मावला " कहते थे। रायरेश्वर के मंदिर में उन्होंने स्वराज्य की शपथ ली। प्रतिकूल परीस्थिती , संघर्षमय जीवन के कारण सब कुशल योद्धा बन गये। शिवाजी महाराज के संगठन में हर जाती के लोग शामिल थे।उन्होंने कभी भी जातीयता नहीं दिखाई या नहीं जताई। सोलह साल के खेलने के उमर में वे स्वराज्य के काम में लग गए। दुर्गोंपर आक्रमण करना शुरु किया। सबसे पहले तोरणा दुर्ग जीता जिसका उन्होंने स्वराज्य का तोरण के तौरपर तोरणा यह नाम दिया। स्वराज्य की नींव डाली. इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक दुर्ग जीतना शुरु किया।उनके मावल सेना में तानाजी मालुसरे, बाजीप्रभू देशपांडे, जैसे वीर मराठा तो इब्राहिम खान,दौलतखान, मदारी मेहतर,जैसे वफादार मुस्लिम सैनिक भी थे।शिवाजी महाराज के वकील काजी हैदर थे। महाराज धर्मनिरपेक्ष थे।सभी धर्मोंका वे आदर करते थे।वे जातिभेद से परे थे।सभी धर्मोंके लोग हँसी-खुशी से,मिलजुलकर रहें ऐसा वह चाहते थे। अपने प्रजा,जनता के प्रती वे सजग रहते थे।सबको समान मानते थे।राष्ट्रीय एकात्मता का वे अच्छी मिसाल थे।तभी तो वे सबके चहेते बन गये।

शिवाजी महाराज एक धुरंधर सेनानायक, कुटनितीज्ञ होने के कारण और मनुष्यबल की कमी के कारण उन्होंने भौगोलिक परिस्थिती का फायदा उठाया और गनिमी कावा की युद्धनीती का अवलंब करके दुश्मनोंको नामोहरम किया,नेस्तनाबूत किया।वे दुश्मन पर अचानक हमला बोल देते थे। सह्याद्री का पूरा इलाका वे और उनके साथी बखुबी जानते थे। इसकारण वे कभी परास्त नहीं हुए।इसके लिए उनके वफादार साथीयोंका हमेंशा उन्हें साथ मिला। अपने साथियोंके दिलों में शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की ऐसी लौ पैदा की थी के वे उसके लिए मरमिटने को भी तैयार थे।उनकी चमकती तलवार की धार से दुश्मन भयभीत हो उठतते।वे प्रजाहितदक्ष राजा होने कारण अपनी जनता के प्रती राजा होने के नाते आदरभाव रखते थे। उनका खयाल रखते थे।दिनदलित लोगोंके साथ औरत/स्त्रीके प्रती उनकी भावना वंदनीय थी। वे दुसरे स्त्री को अपनी मातासमान मानते थे। जब आबाजी सोनदेव ने कल्याण का खजाना लूटा तो उसके हाथ कल्याण के सुबेदार की बहू लग गयी।शिवाजी महाराज खूष होंगे यह सोचकर उसने उस रुपवान, बहू को शिवाजी महाराज के सामने लाकर खडा कीया। जैसे ही शिवाजी महाराज ने उस रुपवती युवती को सामने पाया तो उन्होंने अपनी नजरें नीचे की और कहा की , "अगर हमारी माँ इतनी सुंदर होती तो हम भी इतने सुंदर होते " सुनकर दिल आदर से भर आता है। उन्होंने सोनदेव को ऐसा करने के लिए फटकारा और बडे सम्मान के साथ उस स्त्री को उसके घर छोड आने को कहा। वो स्त्री शिवाजी महाराज की तरफ आश्चर्यचकित नजरोंसे, आदरसे देखने लगी और निश्चिंत भी हो गयी। उनके राज्य में बहन-बेटीयाँ सुरक्षित थी। अगर गलतीसे भी कीसी स्त्रीपर कोई अन्याय-अत्याचार करता तो उसकी खैर नहीं थी। जो अत्याचार करता उसके दोनों हाथ-पैर तोड दिए जाते थे।इस सजा को " चौरंगा " कहा जाता था। वह आदमी न जी सकता था न मर सकता था। सिर्फ पछतावा करते हुए मौत की राह देखता और उसे देखकर बाकी लोगोंके दिलोंमें दहशत बैठती की ऐसा काम न करें। आजकल की परीस्थीतीमें शिवाजी महाराज की याद तो बहुत आती है।क्योंकी आजकल का माहौल बहु-बेटीयोंके लीए जरा भी सुरक्षित नहीं है। ऐसे थे न्यायी शिवाजी महाराज।वे एक अच्छे अर्थतज्ज्ञ भी थे।जब अपने हाथोंमें कारोबार ले लिया तब उन्होंने सबसे पहला यह काम कीया की जो वतनदार लोग थे, जो जनता को त्रस्त करते थे,उनकी वतनदारी बंद कर दी। हर एक खेती में काम करनेवाले मजदूरोंको खेती बाँट दि।साथ ही साथ उन्हें बीज,खाद,बैल,औजार भी दिये ताकी वह सम्मान की जिंदगी बसर करें । वह जितना उगाता सिर्फ उसपर ही लगान लगाते थे और कभी फसल नहीं होती तो लगान माफ कर देते थे। इसतरह कृषी और किसानोंकी हालत अच्छी हुइ और ,वह संभल गए और आर्थिक स्थिती भी सुधर गयी।

ऐसे थे शिवाजी महाराज एक महान सेनानी, राजा, छत्रपती , कुलभूषण, प्रजाहितदक्ष, महिलाओंके मसिहा। उन्हें मेरा शतशत नमन .

प्रजाहितदक्ष राजा शिवाजी
माँ जिजाऊ का प्यारा दुलारा
कर्तव्यनिष्ठ, स्त्रीप्रतीपालक
हिंदवी स्वराज्य संस्थापक न्यारा।

लेखिका
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
9881862530

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