हिंदी भाषा
हिंदी भाषा जनमानसकी
संस्कृतसे जन्मी है तू।
इसलिए तू हमारी भाषा है,
देवनागरी में लिपीबद्ध है तू।
समझेने में आसान है तू,
बोलने में भी सहज है तू ।
भाव अपना प्रकट करते है,
आदानप्रदान की भाषा है तू।
साहित्य भी तेरा प्रचुर मात्रा में
ऊभरी है तू साहित्यिकोंसे
लायी सामाजिक परिस्थिती,
सामने सबके अपनी कलमसे
तू है जैसे माथे की बिंदी,
शोभायमान सबको करती।
लचक है तेरी लिखावट में ,
सुंदर तेरा रुप सलोना दिखाती
राजभाषा का स्थान मिला है,
दिखती सरकारी कागजोंमें।
पढते हैं तुझे बडे चाव से,
बच्चे सारे अपने स्कूलोंमें।
करना संवर्धन तेरा बहना,
काम हमारा जरुरी है ।
नहीं कहेंगे अलविदा तुझको
आगे तुझे हमें बढाना है।
करेंगे प्रसार तेरा दिलसे,
महानता तेरी समझायेंगे।
भारत के साथ दुनियामें,
तेरीही प्रशंसा हम गायेंगे।
कवयित्री
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
9881862530
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