poems & articles
Saturday, 4 April 2020
चारोळी ( क्षितिज )
क्षितिज
इंद्रधनू चे रंग उधळले
क्षितिजावर नवशोभा आली
सानथोर हे स्मितीत झाले
नवतेजाची आभा प्रकटली
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड
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