डॉ. अलका नाईक
जीवन एक सफर है,
सबको आना ,जाना है।
छोड़कर खुदगर्जी जो जीता है,
सबके दिलों में समा जाता है।
सही है ना ? संसार में जीते तो सभी है ! लेकिन सब को याद कौन रखता है ? सबके दिलों में कौन छाता है ? जो अपना सारा जीवन निस्वार्थ भाव से जीता है और खुदगर्जी छोड़कर दूसरों का दुख देखकर उनके लिए जीता है। ऐसी हस्तियांँ बहुत कम दिखाई देती है। ऐसे ही एक हस्ती से मेरी मुलाकात हुई। परसों कांदिवली में मैं एक कार्यक्रम मेंअतिथि के रुप में उपस्थित हुई थी वहाँ मेरी मुलाकात डॉ.अलका नाईक से हुई और वह मेरे दिल पर छा गई ।सम्मेलन के बाद वह हमें बड़े आग्रह के साथ अपने केबिन में ले गई ।मेरे बाथ दैनिक सुफ्फा के उप संपादक श्री. मुन्तेजर खान भी थे। जब हम उनके केबिन में गए तो वहांँ का सारा नजारा देखने लायक था पूरा केबिन ट्राफीयोंसे और सन्मानचिन्हों से भरा पड़ा था। मुझे उत्सुकता हुई और मैंने उनसे उनके बारे में जानकारी हासिल की। डॉ. अलका नाईक ने बड़े शांत भाव से अपने जीवन के बारे में बताया। मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं प्रभावित हुई ।उनके बारे में मेरे मन में इतने खयालात आ रहे थे, कि मैं बेचैन हो उठी और उनको कागज पर उतारा तब जाकर मुझे सुकून मिला।
डॉ. अलका भरत नाईक का जन्म 9 अक्टूबर 1959 को वेंगुर्ला में हुआ। दूसरी कक्षा की पढ़ाई सावंतवाडी में और उसके बाद मुंबई के महानगरपालिका के स्कूल में पूरा हुआ। उनके मांँ- बाप शिक्षा को महत्व देते थे। उन दोनों को साहित्य में रुचि थी ।वे अच्छी कविताएं करते थे। इसीलिए डॉक्टर अलका को भी कविताएं लिखने का शौक हुआ। उन्होंने बचपन से कविता लिखी है ।उनके पिताजी मुंबई में डेप्युटी कलेक्टर थे। मां बाप के साहित्यिक संस्कार डॉक्टर अलका में आ गए । बाद में बैंकिंग एंड फाइनेंस में बी.कॉम. शाखा में वह प्रथम आई। एम.कॉम. पूरा करके .डी.एच.ई. पूरा करके 5 साल अध्यापक की नौकरी की। एमपीएससी की पढ़ाई के बाद सचिवालय में एक अफसर के रूप में वह नौकरी करने लगी।लेकिन उनका मन वहांँ उब गया और वह नौकरी छोड़कर फिर से अपने रूचि के क्षेत्र में यानी शिक्षा क्षेत्र में आई। डी.टी.एच. कॉलेज ऑफ कॉमर्स और पी.डी. तुराखिया जूनियर कॉलेज ऑफ कॉमर्स और साइंस मालाड पूर्व स्थित कुरार विलेज कॉलेज में इकोनॉमिक्स विषय की अधिव्याख्याता बनकर सेवा की। एचएससी बोर्ड की इकोनॉमिक्स विषय की मॉडरेटर का काम किया. ओपन यूनिवर्सिटी नासिक ,महाराष्ट्र की 10 वर्ष तक समन्वयक काउंसिलींग साइकोलॉजिस्ट का काम करते वक्त बहुत जरूरतमंदों को मार्गदर्शन और सलाह दी। आज तक उन्होंने अनेक पदों पर काम किया है,कई संस्थाओं की वह सदस्य अधिकारी स्थान पर रह चुकी है और आज भी वह कई पदों पर काम कर रही है। अनेक सभा सम्मेलनों में वह भाग ले चुकी है। उनके मानसिक स्वास्थ्य, आरोग्य और समुपदेशन पर भाषणों का देश विदेशों में 26 टीवी चैनलों पर और फेसबुक पर प्रसारण हुआ है। स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों के लिए अर्थशास्त्र और मोटिवेशनल ट्रेनर के रूप में काम कर के छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए अनेक आधुनिक उपक्रम किए हैं। नर्मदा किडनी फाउंडेशन में किडनी बचाओ आंदोलन ,अवयव दान ,हेयर डोनेशन के केशदान आंदोलन में सक्रिय भाग लिया है। डिवाइन रेलेशंस द्वारा कैंसर टीबी. कोडजैसे रोग मुक्त हुए व्यक्तियों के लिए और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए खुद का जीवनसाथी चुनने के लिए उन्हें इकठ्ठा लाने का कार्यक्रम भी किया । साथ में अपनु घर वृद्धाश्रम ,बोरीवली में वह कार्य करती है। ब्लाइंड एसोसिएशन में वह मदद करती है। कोकण विभाग में महिला सबलीकरण और व्यवसाय वृद्धि के लिए राजापुर- जैतापुर भाग में काम किया। ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग लेने वाली महिलाओं के लिए मोटिवेशन ट्रेनर का भी काम किया। नृत्य में रुचि होने के कारण संगीत और नृत्य के कार्यक्रमों को मदद करके उनका हौसला बढ़ाती है। उन्हें नर्तन,चित्रकलाष रंगोली, कविता ,प्रवास वर्णन लिखना , टेबल टेनिस,बैडमिंटन खेलना अच्छा लगता है। और अपनी जबरदस्त इच्छा के कारण गिरीभ्रमण में कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी उन्होंने पूरी की है। अपने मां-बाप के साहित्य संस्कार डॉ. अलका में आ गए और उनका भी साहित्य प्रकाशित हुआ। उनका शब्द गंध कविता संग्रह और मधुगंध चारोळी संग्रह प्रकाशित हुआ है। इतना सबकुछ होने पर भी डॉक्टर अलका नाईक हमेशा से उत्साहित रहती है। अपने काम के प्रति ,अपने छात्रों के प्रति सद्भावना रखकर काम करती है। अपने छात्र आगे चल कर खुद के पैरों पर खड़े होकर अपनी आजीविका चलाएंगे यह सोच कर उन्हें अनेक कलाओं में निपुण बनाया है। छात्रों द्वारा बनाए गए वस्तुओं के लिए ,प्रदर्शन करने के लिए वह प्रदर्शनी का आयोजन भी करती है। इसका अनुभव हमने लिया है। डॉ अलका नाईक का काम देख कर उन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया है। इसमें भारत सेवा रत्न स्वर्णपदक ,सोशल अवेयरनेस अवॉर्ड, आदर्श शिक्षिका पुरस्कार, तेजोमय समाजरत्न पुरस्कार, काव्यभूषण, काव्यरत्न, कोकन रत्न,हिरकणी पुरस्कार, समाजसेवा पुरस्कार, जीवन गौरव पुरस्कार जैसे अनेक पुरस्कार मिले हैं। 2005 से 2016 तक यशवंतराव चौहान मुक्त विद्यापीठ में कोऑर्डिनेटर का काम करके शिक्षा से वंचित छात्रों को शिक्षा का मार्ग दिखाया इसलिए उन्हें स्वर्णपदक प्राप्त हुआ। जब वह सेवानिवृत्त हुई तब घर में बैठे रहने के बजाय उन्होंने सीयू शाह स्कूल और मुंबादेवी कॉलेज में प्रिंसिपल के रूप में प्रशासक का काम करना शुरू किया और बड़े उत्साह से कर भी रही है।
इस तरह डॉ. अलका नाईक एक बड़ी हस्ती से हमारा परिचय हुआ। उन्होंने हमारा उपहार देकर सम्मान भी किया। उनके आने वाले जीवन में उन्हें ऐसी ही कामयाबी हासिल हो यह मनोकामना मैं करती हूं।
हिरकणी तू रणरागिनी तू,
स्वावलंबन का आदर्श तू।
लेकर प्रेरणा तुझसे खड़े हैं,
जरूरतमंदों की आशादीप तू।
लेखिका
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड
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