Monday, 15 October 2018

हिंदी लेख ( नारीशक्ती का त्यौहार दशहरा )

हेडींग- नारी शक्ती का त्यौहार

भारतीय संस्कृती में नारी शक्ती का बडा महत्त्व हैं।जब जह भी कठीण परिस्थिती सामने आई तब तब नारीशक्ती के सहारेही उससे सब पार हो गए है । दशहरे के पहले नौ दिनतक नारीशक्ती की उपासना की जाती है। स्त्रीशक्ती की आदीमाया,दुर्गा,कालीमाता ऐसे विविध रुपोंमें पूजा की जाती है। मराठी में कहते हैं,- "दसरा सण मोठा,नाही आनंदा तोटा " ये सही भी है। क्योंकी दशहरा त्यौहार से पहले घरों में साफसफाई की जाती है,और एक मंगलपूर्ण वातावरण तैयार होता है। पूरे भारत में यह त्यौहार बडे धूमधामसे मनाया जाता है। शुभ कार्य की शुरुआत भी ईसी दिन के साथ कई लोग करते है। इस त्यौहार को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। ईससे पहले नौ दिनतक पूजा अर्चना की जाती है। हमेशा नंदादीप जलता रहता है।त्याग का महिना भी कहा जाता है।

दशहरे के दिन सिमोलंघन के बाद एकदुसरे को आपटा की पत्तीयाँ बाँटी जाती है।सत्य का असत्यपर , सच्चाई का झुटेपणपर विजय का प्रतिक है ये त्यौहार।रामलीला मनाकर दुष्ट शक्ती का प्रतिक रावण का पुतला भी जलाया जाता है। ईस त्यौहार के पिछे बडा महत्वपूर्ण संदेश छिपा है,वह है," बूरी बातें कीतनी भी छिपायें वह छिपती नहीं,तो सत्य के आगे उसे झुकना ही पडता है "। सत्य कभी भी खत्म नहीं होता।

आज हम दुनिया में देखते हैं की सभीतरफ अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार का माहौल दिखाई देता है। हमारे जो षडरिपू जो है उनपर हमें काबू पाना है। मन के विकारोंको दूर करना है। हमारा यह कर्तव्य है की हम अपने मन पर,ईन विकारोंपर काबू पाना है।त्यौहार हमें कैसे जीना चाहिए यह सिखाते है। समाजमें नारी की निर्भत्सना की जाती है।लेकीन जब तक स्त्री संयम रखती है तबतक सही है , लेकीन जब वह जागृत होती है तब दुर्गा बनकर अपना हक, अधिकार प्राप्त करती ही हैं। दशहरेका महत्त्व जान लेने का अब समय आ गया है। अब हमें विचार करना है की नारी को सम्मान देना है या ऊसे अपमानित करना है। तो सोचो और दशहरे के मौकेपर सोने जैसे हमारे मनमें सोने जैसा विचार लाएंगे। नारी को महफूज रखो और अपना भविष्यकाल सुवर्णमयी करो।

हे नारी तू दुर्गा , तू शक्ती,
दशहरे की तू है महती।
लढ तू अन्याय के खिलाफ,
सुधारणा है तुझेही तेरी स्थिती।

लेखिका
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर.

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