Wednesday, 3 June 2020

हिंदी लेख (पर्यावरण दिन )

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस

 विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण ऐलान है। 1972 में संयुक्त राष्ट्र के महासभा द्वारा यह दिन पर्यावरण दिन के तौरपर मनाने के लिए मान्यता दि गयी की गई ।  इसका मुख्यालय नैरोबी, केन्या में है।  5 जून को पर्यावरण के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।  पर्यावरण और मनुष्यों के बीच संबंध बरकरार रहे यही एक भावना इसके पिछे हमेशा रही है। पर्यावरण याने "वह वातावरण जहाँ हम रहते हैं,जिसमें सजीव, निर्जीव घटक आते हैं,वह पर्यावरण कहलाता है"। पर्यावरण में कार्बनिक और अकार्बनिक तत्व ये दो तत्व हैं। अपनी मांगों को पूरा करने के लिए, मनुष्य ने कई नए आविष्कार किए हैं।उसके लिए मानव को प्रणाम करना होगा। पर्यावरण के बारे में आज अलगसे कहना पडता है,समझाना पडता है। लेकिन
 प्राचीन काल में गुरुकुल प्रणाली के कारण, पर्यावरण को अलग से पहचानने की आवश्यकता नहीं थी।  20 वीं शताब्दी में, गुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने एक प्राकृतिक, स्थान पर अनोखे "शांतिनिकेतन" विश्वविद्यालय  की स्थापना की।जिसने प्रकृति के प्रति छात्रों में कृतज्ञता की भावना पैदा करने का काम इस विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। प्रकृति को बडे संवेदनशील तरीके से संभाला जा रहा था लेकिन आजकल हम हर जगह बारबार पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।  मनुष्य पर्यावरण हानी के साथ साथ पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है।

 आज की मानवीय स्थिति शेख चिल्ली जैसी हो गई है।  हम जिस वातावरण में रहते हैं, उसे हमने नगण्य स्थान देकर उसका नुकसान ही करते जा रहे है। इसके कारण पर्यावरण प्रदूषित हो गया है।  हरसाल अनगिनत पेड़ काट दिए जाते हैं।शहरोंके विकास के नाम पर, हमने वनों की कटाई की और सीमेंट के जंगलो को बढाया। सड़क चौड़ा करने के लिए वनों की कटाई बड़ी मात्रा में की।धरणों के नाम पर कई एकड़ भूमि जलमग्न हो गई है।  साथ ही बढ़ती जनसंख्या का पर्यावरण पर जादा प्रभाव पड़ रहा है।  यह सब पर्यावरण, उसके असंतुलन को प्रभावित कर रहा है।  पर्यावरण दो प्रकार के होते हैं, मानव निर्मित और प्रकृति निर्मित। धर्म, संस्कृति, बढ़ती जनसंख्या, सामाजिक और आर्थिक, सभी मानव निर्मित वातावरण में आते हैं।  निर्जीव वातावरण में जीवित तत्व जैसे कि जानवर, पौधे और प्रकृति में सूक्ष्म जीव होते हैं।  मिट्टी, पानी, पर्यावरण के तत्व हैं।  लेकिन मानव और अन्य जीवित प्राणियों के अस्तित्व को मानव जीवन के हस्तक्षेप से खतरा बहुत बड़ा हो गया है।  अगर हम इंसान निस्वार्थ भाव से रहते, तो हम इस धरती की आवाज़ सुन सकते थे।  सूर्य की अतिनील किरणें वायुमंडल में स्थित ओझोन की परत को पतला कर रहे हैं और उसे क्षती पहुँचा रहे हैं। ग्रीनहाउस से निकलनेवाला सीएफसी वायू और कार्बनडाय ऑक्साईड जैसे गैसों के कारण और  क्लोरोफ्लोरोकार्बन, ओझोन के परत के लिए खतरा पैदा कर रही हैं।जिसके चलते कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों के संपर्क में मानव आ रहा है।मानल जीवन धोके में हैं। इसके बारे में हमें क्या करना चाहिए?यह सोचने का यह समय है।
 हमें पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं को संभालना चाहिए। परिसर को साफ रखना, पानी को साफ रखना और संग्रहीत करना, भूमि, जल और जंगलों का संरक्षण करना.इसकी आज खूब आवश्यकता है।  हमें पर्यावरण के अनुकूल होने की,पर्यावरण के बारे में हमेशा सोचने की जरूरत है।  ग्रामीण है या शहरी दोनों भी क्षेत्रों में लोगों को किसी भी प्रकार के प्रदूषण का कारण नहीं होना चाहिए।  पौधों को बड़ी संख्या में लगाया जाना चाहिए।  आधुनिक तकनीक का उपयोग कर जन जागरूकता पैदा की जानी चाहिए और परिवहन के साधनों का शोर कम किया जाना चाहिए।  सरकार कोशिश कर रही है, हमें यह भी महसूस करना होगा कि पर्यावरण की देखभाल करना हमारा कर्तव्य है। प्रकृति हमें बहुत कुछ देती है।  क्या हम अपनी खुद की रक्षा के लिए पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते? हाँ हम जरूर कर सकते हैं।इसलिए हमें याद रखना चाहिए कि हम ये कर सकते हैं।आज पुरे विश्व में एक वैश्विक महामारी फैली है जिसका नाम है कोरोना,जिसे कोविड-19 भी कहते है।कोरोना की वजह से पूरा विश्व आज बेहाल होकर घर में बैठा है।इसका अच्छा असर पर्यावरण में दिखाई देता है।मानव घर में कैद होने के कारण पर्यावरण को बिगाडनेका मौका उसे न मिलने के कारण पर्यावरण अब साफसुथरा हो गया है। नदियाँ अब गंदी नहीं हो रही है।पंक्षी भी निर्भय होकर चहचहाने लगे है।मोर भी बेझिझक रास्तेपर आकर नाचने लगे हैं।समंदर के किनारेपर भी पशू घुमने लगे हैं। यह देखकर अच्छा लगता है,लेकीन ये सब हमेशा के लिए रहना चाहिए.जब लॉकडाऊन खत्म होगा तब मानव फिरसे पर्यावरण को हानी पहुँचाने के लिए तैयार रहेगा।ऐसा नहीं होना चाहिए।प्रत्येक मानव का यह कर्तव्य है की इस महामारी से कुछ सिखकर पर्यावरण का रक्षण करें।

 वृक्षों को नष्ट मत करो
 पर्यावरण की रक्षा करें जरुर 
आपका भविष्य आपके हाथ 
 ध्यान रखकर पेड लगायें जरूर

 लेखिका

 श्रीमती माणिक नागावे कुरुंदवाड,
 ता.शिरोळ, जिला कोल्हापूर
  9881862530

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