काव्य प्रतियोगिता के लिए
विषय- ये बंधन तो राखी का बंधन है
आया त्यौहार राखी का सुहावना,
भाई बहन के प्यार का तराना।
ये बंधन तो राखी का बंधन है,
सब मिलकर मौज मनाना ।
रेशम डोर कहो या धागा,
प्यार ही प्यार बसा है इसमें।
एकदुजे के दिलका आईना है,
साफदिल छवी दिखती जिसमें।
कलाईपर बांधा रेशम का धागा,
तिलक कुंकुमका लगाया माथेपर।
आरती की शुभकामना के साथ,
जच रही राखी भाई के हातपर।
वादा रक्षा का करता भाई,
उपहार प्यारसे देता भाई।
चमक उठी आँखे बहनाकी,
चेहरेपे उसके खुशी आई।
आशिष लेता तो कभी देता,
भाई छत्रछाया सदा देता।
इसी प्यार के बलपर रहती,
जीवन उसका आनंदसे बितता।
रचना
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
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