प्रतियोगिता के लिए
बाल कविता
आया सावन झुमके
देखो भैय्या सावन आया,
देखो कैसा सुंदर नजारा ।
लेकर छाता तू खडा है ,
तुही है मेरा बड सहारा ।
निले निले छातेपर गीरती ,
बारीश की छमछम बुँदे ।
मुझपर ना बरसे पाणी ,
प्रयास तेरा भाया मेरे बंदे ।
हरीयाली है चहुओर हमारे,
पत्थरपर मैं बैठा,तू है खडा।
झरझर झरता है झरना देखो,
उपर से कुदता ,दिखता है बडा।
रगबिरंगे पहनकर कपडे,
सावन का मजा ले रहे हैं।
धरतीपर का हर एक प्राणी,
गीत सुख का गा रहे हैं।
टपटप करती बुँदे हमपर,
थरथर काँपेगी काया ।
कुछ ना सोचकर अब हम,
लेंगे मजा प्रकृती की छाया।
कवयित्री
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
9881862530
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