प्रतियोगिता का लिए
कविता
विषय-गुरुमहिमा
गुरुसेही मिलता ज्ञान,
गुरु ही भंडार ज्ञान का
रखना है खयाल सदा हमें
इनके मान और सम्मान का
आदर्शवादी व्यक्तीरेखा गुरु
पदपर जिनके हम है चलते
राह सत्य की दिखलाते वह
पालन हम है मनसे करते
वास्तवता का पाठ पढाते जीवन का मार्ग दिखाते
भविष्य उज्ज्वल बनानेका
सही तरीका है सिखाते
गुरुसेही भगवान मिलते
गुरु हर कोई,जो सिखानेवाला
अच्छे-बुरे की पहचान देनेवाला
शिष्य का सही चाहनेवाला
वंदन करते गुरुजनोंको
गुरु महिमा अगाध इनकी
पसंद हमें ऋण में रहना
करना है पार नौका जीवनकी
कवयित्री
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड, जिल्हा. कोल्हापूर
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