प्रतियोगिता के लिए
पुनम का चाँद
जमीन से लेके फलक तक
बस तेरा ही दिदार है |
झलक पाने की तेरी ,
हर एक का इंतजार है |
अमावस के बाद पुनम
अंधेरे के बाद उजाला |
दुःख के बाद सुख ,
करो न कभी मन मैला |
प्रेमीयोंके आखोंका तारा
सुहागणोंका रखवाला |
कवियोंकी कल्पना का बिंदू
है सदा आजीवन मतवाला |
चाँद की तुम चाँदणी ,
फैली रोशणी जगमग नभमें
पावन तू मनभावन तू
प्यार सदा तेरे ऊर में |
पूर्णत्व का एहसास तू
आनंद की भरमार तू
आकाश का दिया तू
बच्चोंका चंदामामा भी तू |
कवयित्री
श्रीमती माणिक नागावे
कुरुंदवाड , ता. शिरोळ ,
जि. कोल्हापूर.
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