poems & articles
Saturday, 9 January 2021
चारोळी ( अवचित )
चारोळी
अवचित
काल अचानक अवचित बरसला
वाटे ऋतूमानाचेही गणित चुकले
विषाणूच्या नावाखाली सहजच
कीतीक निरागस प्राणास मुकले
रचना
श्रीमती माणिक नागावे
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