poems & articles
Sunday, 18 April 2021
चारोळी (माणुसकी )
चारोळी
माणुसकी
माणुसकी शोधता सापडत नाही
संकटसमयी सहजच प्रकटते
आधार देत एकमेकांना स्नेहाने
धीराने महामारी छेदून जाते
रचना
श्रीमती माणिक नागावे
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